क्या होती है ज़ीरो FIR, पुलिस इसे दर्ज करने से क्यों मना नहीं कर सकती

साल 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape Case) केस के बाद देश में कई तरह के कानूनी सुधार हुए थे. उस समय रेप और यौन शोषण के मामलों के मद्देनजर सजा और अन्य प्रावधानों के लिए जस्टिस जेएस वर्मा (Justice JS Verma) की अगुआई में कमेटी गठित की गई थी. वर्मा कमेटी ने ही पहली ज़ीरो एफआईआर (Zero Fir) का सुझाव दिया था. कमेटी का सुझाव था कि गंभीर अपराध होने पर किसी थाने की पुलिस दूसरे इलाके की एफआईआर लिख सकती है. ऐसे मामलों में अधिकार क्षेत्र का मामला आड़े नहीं आएगा.

क्या होती है जीरो एफआईआर
दरअसल हर पुलिस स्टेशन का एक अधिकार क्षेत्र होता है. ज़ीरो एफआईआर यह सुविधा देती है कि अगर आप अपने इलाके के पुलिस स्टेशन में नहीं पहुंच पा रहे हैं तो ज़ीरो FIR के तहत नजदीकी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज करवा सकते हैं.

ज़ीरो FIR दर्ज करने के लिए इस बात से मतलब नहीं होता कि क्राइम कहां हुआ है. इसमें सबसे पहले रिपोर्ट दर्ज की जाती है. इसके बाद संबंधित थाना जिस क्षेत्र में घटना हुई है, वहां के ज्युरिडिक्शन वाले पुलिस स्टेशन में FIR को फॉरवर्ड कर देते हैं. यह प्रावधान सभी के लिए किया गया है.